एसआईटी गठन के बाद धूमल परिवार ने खोया आपा

शिमला: आबकारी एवं कराधान मंत्री प्रकाश चौधरी और आयुर्वेद मंत्री कर्ण सिंह ने आरोप लगाया कि पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल में किए गए गलत कार्यों की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) के बाद धूमल परिवार आपा खो बैठा है। दोनों मंत्रियों ने संयुक्त बयान में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के पुत्र अरुण धूमल की तरफ से मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ मनी लाड्रिंग से संबंधित बयान पर आपत्ति जताई।

 

उन्होंने कहा कि एसआईटी को 3 माह के भीतर अपनी रिपोर्ट देनी है जिससे विचलित होकर धूमल परिवार आधारहीन बयानबाजी कर रहा है। उन्होंने कहा कि धूमल परिवार अपने ऊपर लगे आरोपों से लोगों का ध्यान बटाने के लिए इस तरह के सनसनीखेज, आधारहीन तथा बेतुकी बयानबाजी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब प्रेम कुमार धूमल का छोटा बेटा एक लाख करोड़ रुपए से अधिक की मनघढं़त राशि के मनी लाड्रिंग में शामिल होने के हास्यास्पद आरोप लगा रहे हैं, जोकि उनके मानसिक दिवालियापन की मनोस्थिति को दर्शाता है।

 

मंत्रियों ने कहा कि अरुण धूमल बताएं कि उनकी अपनी क्या पहचान और क्या योगदान है, सिवाय इसके कि वे पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे हैं। उन्होंने कहा कि यह आश्चर्यजनक हंै कि अरुण धूमल ऐसी शख्सियत पर अंगुली उठा रहे हैं जो पिछले 5 दशकों से सक्रिय राजनीति में हैं और रिकार्ड 6 बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं। उन्होंने कहा कि अरुण धूमल को इस प्रकार की आधारहीन बयानबाजी करने से पूर्व कम से कम एक बार तो आत्मचिंतन करना चाहिए।

 

उन्होंने आरोप लगाया कि अरुण धूमल को एचपीसीए घोटाला, बैमलोई भूमि घोटाला, झूठा शपथ पत्र घोटाला, एक निर्धन गरीब की भूमि हथिया कर उसे भूमिहीन कर देना जैसे कथित घोटालों को याद रखना चाहिए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि देश के विभिन्न भागों में धूमल परिवार की तरफ से भ्रष्ट व अनैतिक तरीकों से अपार चल-अचल सम्पत्ति एकत्र की गई है। मंत्रियों ने कहा कि प्रदेश व केन्द्र के कुछ भाजपा नेताओं के कहने पर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की स्वच्छ छवि को धूमिल करने के लिए सीबीआई और ईडी द्वारा मामला दर्ज किया गया।

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